March 24, 2023 |

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जड़ोल में प्रकृतिक खेती पर आयोजित किया गया दो-दिवसीय प्रशिक्षण शिविर…..

सुंदरनगर, 16 सितंबर : कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश जिला मंडी कृषि प्रद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण आत्मा जिला मंडी विकास खंड सुंदरनगर द्वारा ग्राम पंचायत जड़ोल में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती व प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले सभी घटकों के बारे में भी बिस्तार पूर्वक जानकारी दी गई।

सुंदरनगर कृषि विकासखंड के खंड तकनीकी प्रबंधक लेखराज, शिवानी शर्मा और सहायक तकनीकी प्रबंधक योगराज ने किसानों को प्राकृतिक खेती  में उपयोग होने वाले घटकों को प्रयोगात्मक रूप से बताया गया जिसमें बीजामृत, घनजीवामृत, जीवामृत, द्रेकस्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्निअस्त्र तथा सप्तधान्य अंकुर अर्क आदि थे। इस प्रशिक्षण शिविर में किसानों को अपनी प्राकृतिक खेती से लगाई हुई फसलों को बीमारी से बचाने के  लिए खट्टी लस्सी का  उपयोग करना भी सिखाया। खंड तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने बताया कि इस तरह की गतिविधियों को आयोजित करने का उद्देश्य है कि संपूर्ण किसान वर्ग प्राकृतिक खेती के बारे में जाने और लाभ उठाएं और इस तरह के प्रशिक्षण शिविर सुंदरनगर ब्लॉक की सभी पंचायतों में लगाये जा रहे हैं।

कम लागत में अच्छी पैदावार और मुनाफा ज्यादा :

लेखराज ने कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती तकनीक के अतंर्गत किसान को किसी भी प्रकार के रासायनिक और कीटनाशकों तत्वों को खरीदने की जरुरत नहीं पड़ती है और इस तकनीक में किसान केवल अपने द्वारा बनाई गई खाद का इस्तेमाल करता है, जिसके चलते किसानों को कम  लागत में अच्छी पैदावार का लाभ मिलता है।

जमीन के लिए फायदेमंद :

उन्होंने कहा कि आजकल किसान अपनी फसल को किसी भी प्रकार की बीमारी या कीड़े से बचने के लिए अलग-अलग प्रकार के रासायनिक और कीटनाशकों का छिड़काव करते है। इसके कारण जमीन के उपजाऊपन को नुकसान पहुँचता है और कुछ समय बाद फसलों की पैदावार भी अच्छे से नहीं हो पाती है। मगर शून्य बजट प्राकृतिक खेती के दौरान जमीन का उपजाऊपन बना रहता है और फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है।

पैदावार की गुणवत्ता बढ़ती है :

उन्होंने कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती से पैदावार की गुणवत्ता बढ़ती है, क्योंकि इस तकनीक में किसी भी रासायनिक उर्वरको एवं कीटनाशकों का प्रयोग वर्जित है। इस तकनीक में सभी प्राकृतिक चीजो का ही प्रयोग किया जाता है जिससे फसल जहर मुक्त होती है और इसका सेवन करने से किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा नहीं होता है।

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