हिमाचल में देखें बंगाल की संस्कृति, एक ही रंग के 108 फूलों और दीयों के साथ विशेष संधि पूजा संपन्न..!!!

मंडी(ब्यूरो), 3 अक्तूबर : पश्चिम बंगाल की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के सुंदरनगर में शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर शंख ध्वनि के साथ दुर्गा माता की संधि पूजा विधि विधान से संपन्न हुई। कालीबाड़ी मंदिर शिमला के बाद मंडी जिला के नगर परिषद क्षेत्र सुंदरनगर में पिछले 40 वर्षों से दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है। बता दें कि वर्ष 1982 में बंगाल के रहने वाले तत्कालीन मंडी जिला के उपायुक्त बासु चैटर्जी ने इस बंगाली परंपरा को सुंदरनगर में शुरू किया था। सुंदरनगर में बंगाली समुदाय के अधिकारी और कर्मचारी अधिक संख्या में मौजूद होने के कारण दुर्गा पूजा उत्सव को शुरू किया गया था। समय के साथ इन लोगों के स्थानंतरण और सुंदरनगर से वापिस अपने घर लौट जाने के कारण दुर्गा पूजा का जिम्मा अब स्थानीय महिलाओं के समूह और बच्चों पर आ गया है। इन्होंने दुर्गा माता के प्रति अपना श्रधाभाव निभाते हुए बीते कई वर्षों से निरंतर पूजा का क्रम जारी रखा गया है।

दुर्गा उत्सव के दौरान पश्चिम बंगाल के हुगली जिला के चंदनपुर क्षेत्र से संबंधित पंडित शैलेन मुखर्जी द्वारा मात्र 17 वर्ष की आयु से बंगाली पद्वति से अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन किया जा रहा है। इस दौरान बंगाली रीति रिवाजों के अनुसार दुर्गा पूजा के दौरान मूर्ति स्थापना, संधि पूजा, भोग, सिंधूर खेला सहित मूर्तियों का विसर्जन और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान सबसे अधिक आकर्षण संधि पूजा का होता है। शरद नवरात्रि के दौरान अष्टमी के समाप्त होने से 24 मिनट पहले और नवमी शुरू होने के बाद 24 मिनट इस पूजा का आयोजन किया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान कुल 48 मिनट तक चलने वाली इस विशेष पूजन विधि का महत्व माता दुर्गा द्वारा चामुंडा रूप धारण कर रक्तबीज राक्षस का संहार करने से है। इस दौरान दुर्गा माता का एक ही रंग के 108 पुष्पों के साथ विशेष पूजन और श्रधालुओं द्वारा संधि पूजा पर 108 दीए जलाए जलाए गए।

जानकारी देते हुए पश्चिम बंगाल के पंडित शैलेन मुखर्जी ने कहा कि सुंदरनगर में कुछ बंगाल के रहने वाले लोगों ने इस दुर्गा पूजा को आरंभ किया था। इन लोगों द्वारा क्षेत्र से वापिस जाने और सेवानिवृत्त होने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा इसका दायित्व अपने ऊपर ले लिया गया। उन्होंने कहा कि इस पूजा को पूरे विधि विधान से पूरा किया जाता है और पूजा में किसी भी प्रकार की कोई भी कमी नहीं रखी जाती है। जिन चीजों की उपलब्धता यहां पर हो जाती है उन्हें उपयोग में लाया जाता है और कुछ चीजों को बंगाल से लाया जाता है। शैलेन मुखर्जी ने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान संधि पूजा का सबसे अधिक महत्व है।

वहीं शारदीय श्री दुर्गा उत्सव की अध्यक्ष नीलम पटियाल ने कहा कि दुर्गा पूजा में पूजन विधि के लिए बंगाल से ही पंडित को बुलाया जाता है। इस दुर्गा पूजन का आयोजन बंगाल के कुछ लोगों द्वारा यहां पर शुरू किया गया था। इसके उपरांत इन लोगों के सुंदरनगर से वापस जाने के बाद स्थानीय महिलाओं और बच्चों द्वारा इस पूजा के आयोजन की जिम्मेवारी पिछले 40 वर्षों से निभाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस उत्सव को धूमधाम से मनाने के लिए स्थानीय लोगों का एक बड़ा सहयोग उत्सव कमेटी को मिलता है।
