Edition

Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

मंडी : जाईका परियोजना से जुडक़र आर्थिकी को सुदृढ़ बना रही राधा रानी समूह की महिलाएं…!!!

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी – जोगिन्दर नगर

वन मंडल जोगिन्दर नगर के अंतर्गत वन परिक्षेत्र लडभड़ोल के गांव रैंस भलारा की महिलाएं हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना (जाईका वानिकी परियोजना) के माध्यम से स्वयं सहायता समूह बनाकर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही हैं। वर्ष 2020-21 के दौरान ग्राम वन विकास समिति रैंस भलारा द्वारा गठित राधा रानी स्वयं सहायता समूह में 9 महिलाएं इसका हिस्सा बनी हैं। इन महिलाओं द्वारा ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध विभिन्न तरह के जंगली व प्राकृतिक उत्पादों से आचार, चटनी इत्यादि बनाने का कार्य किया जा रहा है।जब समूह की प्रधान रीतू देवी से बातचीत की उनका कहना है कि जाईका वानिकी परियोजना के माध्यम से उन्होंने राधा रानी स्वयं सहायता समूह गठित किया है। इस समूह से कुल नौ महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो 10 प्रकार का आचार बना रही हैं। जिसमें कद्दू, रेली, अदरक, लहसुन, नींबू, आंवला, गलगल, अरबी, मिर्च, मूली प्रमुख हैं। साथ ही हरड़, आंवला व बेहड़ा का पाउडर भी तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि जनवरी, 2023 में जायका वानिकी परियोजना के माध्यम से आचार चटनी इत्यादि बनाने का तीन दिन का प्रशिक्षण भी हासिल किया है। स्वयं सहायता समूह को विभिन्न तरह की आर्थिक गतिविधियां संचालित करने के लिए एक लाख रूपये का रिवॉलविंग फंड भी उपलब्ध करवाया गया है। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाएं अपनी आर्थिक जरूरतों के अनुसार समय-समय पर इंटरलोनिंग भी करती हैं।

रीतू देवी का कहना है कि समूह द्वारा तैयार उत्पादों को स्थानीय स्तर के अलावा विभिन्न मेलों के दौरान स्टॉल इत्यादि लगाकर ग्राहकों को उचित दामों पर उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होंने बताया कि अब तक जितना भी आचार समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया गया है वह पूरा बिक्री हो चुका है तथा इससे उन्हें अतिरिक्त आय सृजन का एक माध्यम भी मिला है।

क्या कहते हैं अधिकारी :
वन मंडलाधिकारी जोगिन्दर नगर कमल भारती का कहना है कि जोगिन्दर नगर वन मंडल की कुल 6 वन रेंज में से पांच जिनमें उरला, जोगिन्दर नगर, लडभड़ोल, धर्मपुर व कमलाह वन रेंज शामिल है में जायका वानिकी परियोजना को कार्यान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना के माध्यम से कुल 33 वन विकास समितियों के तहत 66 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर लगभग 700 लोगों को जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि हल्दी प्रसंस्करण, कटिंग व टेलरिंग, नीटिंग, आचार चटनी, मशरूम उत्पादन के साथ-साथ टौर के पत्तल निर्माण, लहसुन व अदरक का प्रसंस्करण का कार्य स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। जायका वानिकी परियोजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों को एक दिन से लेकर 45 दिन तक प्रशिक्षण सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। साथ ही स्वयं सहायता समूहों द्वारा विभिन्न गतिविधियों के संचालन के लिए एक-एक लाख रुपये का रिवॉल्विंग फंड भी मुहैया करवाया गया है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री को वन मंडल कार्यालय परिसर जोगिन्दर नगर में सेल्स काउंटर भी स्थापित किया गया है।

Read More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

error: Content is protected !!