विकास के नाम पर विनाश का मॉडल बन रही देवभूमि हिमाचल, गमोहूं में बेघर हुआ परिवार…!!!

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डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी – सुंदरनगर

देवभूमि हिमाचल प्रदेश आज सूबे में विकास के नाम पर हुए गैर-नियोजित विकास से कहरा रही है। प्रदेश में पानी के रूप में बरसे कहर से अनेक स्थानों पर लोग अपने घर बार छोड़ कर शरणार्थियों की तरह रहने को मजबूर है। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसा ही एक मामला मंडी जिला के विकास खंड सुंदरनगर की ग्राम पंचायत सलवाणा के गांव गमोहूं में भी सामने आया है। जहां दो भाइयों का परिवार अपना घर बार छोड़ दूसरों के घरों में शरणार्थी बन रहने को मजबूर हैं। गांव में ही किराए पर लिए दो कमरों में 13 लोगों का परिवार किसी तरह गुजर बसर कर रहा है। परिवार में 2 वृद्ध माता-पिता, 5 बच्चे, 4 महिलाएं और 2 भाई जगदीश चंद और गोविंद हैं। फोरलेन निर्माण से पहले तक दोनों भाई पुराने घर में रहते थे। 2010 में दोनों ने आपसी सहमति से पुराने घर के समीप ही अपने-अपने मकान बना लिए। समय सुख से व्यतीत हो रहा था। लेकिन फोरलेन निर्माण के लिए टनलों की खुदाई दोनों परिवारों पर आफत बन कर टूट पड़ी। भवाणा टनल के निर्माण के दौरान हर रोज भारी भरकम मशीनों की पहाड़ी में खोदाई से होने वाली कंपन से रसोई के बर्तन गिरते थे। धीरे-धीरे घर में दरार आना शुरू हो गई थी। उस दौरान परिवार ने बार-बार मिल अपनी आपबीता एनएचएआई को कई बताई और कड़ाई से विरोध भी जताया था। लेकिन किसी पर उनकी परेशानी का कोई असर नहीं हुआ। जगदीश चंद और गोविंद बताते हैं कि 13 अगस्त की रात को हुई बारिश से घर के ठीक सामने की जमीन करीब एक फीट तक धंस गई। जिसके कारण दोनों भाईयों के मकान और पुराने मकान में बड़ी बड़ी दरारें आ गई और संभावित खतरे को देखते हुए मकान से आवश्यकता का सामान निकाल अब किराए पर लिए दो कमरों में रह रहे हैं। भारी बारिश से उनकी 8 बीघा भूमि में से 6 बीघा में जगह-जगह दरारें पड़ चुकी हैं। बची हुई जमीन के भी धंसने की संभावना है। ऐसे में अब उसमें खेती भी नहीं कर सकते हैं। शुक्रवार को सुंदरनगर के दौरा पर पहुंची सांसद प्रतिभा सिंह से भी परिवार ने अपना दुख दर्द साझा कर सरकार व प्रशासन से आग्रह है कि उनका और उन जैसे अन्य परिवारों के रहने का स्थाई समाधान किया जाए।

वहीं मामले पर एसडीएम सुंदरनगर अमर नेगी ने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा सभी प्रभावित क्षेत्रों और पीड़ित लोगों के हुए नुकसान का आंकलन कर इसका प्रारूप बनाकर सरकार को भेजा जाएगा। इसके बाद ही सभी प्रभावितों को हुए नुकसान की एवज में राहत राशि प्रदान की जाएगी। इस पर राजस्व विभाग की टीम कार्य कर रही है।

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