डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी – सुंदरनगर : समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र सुंदरनगर में अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के छात्र-छात्राओं एवं कर्मचारियों सहित 305 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में सीआरसी के प्रोथेटिस्ट सह ऑर्थोटिस्ट जितेन्द्र कुमार देव ने इस दिवस की प्रासंगिकता एवं इस दिव्यांगजनों के सफल समावेशन की आवश्यकता पर अपनी बात रखी। इस दौरान कार्यक्रम के प्रारंभ में सीआरसी के पुनर्वास अधिकारी, डॉ. प्रियदर्शी मिश्र ने इस दिवस की महत्ता एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की पहल पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में सीआरसी के विशेष शिक्षा (बौद्धिक दिव्यांगता) के प्रवक्ता डॉ दया रानी एवं सहायक शैलेश कुमार भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर 32 लाभार्थियों को प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र के माध्यम से विभिन्न सहायक/अनुकूलित उपकरणों का वितरण किया गया। वर्ष 2020 में जारी की गई विकलांगता पर ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की लगभग 2.2 प्रतिशत आबादी किसी न किसी तरह की शारीरिक या मानसिक अक्षमता से प्रभावित है। शहरी इलाकों से ज्यादा, ग्रामीण क्षेत्रों में इनका घनत्व अधिक है जिससे समाज की रूढ़िवादी सोच के कारण इनकी पीड़ा और बढ़ जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक दिव्यांग हैं। 1992 से हर वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस 3 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र ने दिव्यांगजन व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस (आईडीपीडी) के तौर पर मनाने का निर्णय किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 47/3 के अनुरूप आमजन में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में दिव्यांगजनों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाकर इनके अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस हर वर्ष दुनियाभर में मनाया जाता है।