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कांग्रेस सरकार के विवादित फैसले, सुक्खु सरकार की बौद्धिक क्षमता पर उठाते हैं सवाल : राकेश जंवाल

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डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा लिए गए कुछ हालिया निर्णय न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गए हैं। यह बात भाजपा के मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक राकेश जंवाल ने तीखे शब्दों में कांग्रेस सरकार की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहीं। राकेश जंवाल ने कहा कि आखिर ये विवादित फैसले लेना और फिर उससे पलट जाना कांग्रेस की आदत में शुमार हो गया है। शौचालय टैक्स, एचआरटीसी की सामान का किराया बढ़ाने की अधिसूचना और अब डेढ़ लाख के करीब सरकारी पदों को खतम करना इसका जीता जागता उदाहरण है। मजे की बात तो यह है कि एक अधिसूचना के बाद एक “हिडन नोटिफिकेशन “होती है जो मामला बिगड़ते ही लीपापोती के लिए प्रयुक्त की जाती है, जिससे सरकार प्रदेश ही नही बाहर भी उपहास का विषय बनती है।

राकेश जंवाल ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए सरकार ने एक मंत्री स्तरीय कमेटी का गठन भी किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि सरकार में करीब 70,000 पद रिक्त हैं। इस रिपोर्ट से प्रदेश के युवाओं में उम्मीद बंधी थी कि इतने बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किए जाएंगे। लेकिन, इसके कुछ समय बाद ही हमीरपुर स्थित अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भंग कर दिया गया। इस निर्णय के चलते हजारों युवा विभिन्न परीक्षाओं के परिणामों का इंतजार करने को मजबूर हो गए। बोर्ड को नए स्वरूप में पुनर्गठित करने और लंबित परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने के निर्देश जारी किए गए, जिससे लगा कि अब युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। लेकिन सरकार के इस प्रयास पर भी विवाद तब खड़ा हुआ, जब हाल ही में एक अधिसूचना के माध्यम से लंबे समय से खाली पड़े पदों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। खास बात यह है कि यह अधिसूचना चुनावी माहौल के दौरान आई, जिससे सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया और मुख्यमंत्री को स्वयं सामने आकर स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी।

राकेश जंवाल ने कहा कि इससे पहले भी वित्तीय संकट के चलते वेतन और भत्तों के विलंबित होने की खबर ने विधानसभा में बवाल खड़ा कर दिया था। बाद में सरकार को वित्तीय स्थिति बेहतर होने का प्रमाण देने के लिए कर्मचारियों और पेंशनरों को एडवांस में वेतन और पेंशन देकर स्थिति संभालनी पड़ी। इसी तरह, टॉयलेट टैक्स अधिसूचना पर भी सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा। इन फैसलों का समय और तरीका ऐसा रहा कि राष्ट्रीय स्तर पर इनकी आलोचना हुई, और हरियाणा के चुनावों में कांग्रेस की हार के पीछे इन निर्णयों को भी जिम्मेदार माना गया। अब महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावों के दौरान हिमाचल की नई अधिसूचना पर फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है।

विधायक राकेश जंवाल ने कहा कि यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है कि प्रदेश में प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व के बीच संवादहीनता क्यों है। जब बार-बार ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जिनके लिए सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ता है, तो लोगों में असमंजस और सरकार के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण पनपता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार के फैसले सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े करते हैं। आज नौकरशाही पर सरकार की पकड़ ढीली है या फिर सरकार के आदेशों की अवहेलना करना नौकरशाह अपना अधिकार समझते हैं। इनसब के बीच हिमाचल की जनता पिस रही है।

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