शर्मशार : गरीब का शव जलाने के लिए मांग डाली 3500 की राशी, सीएम के गृह जिला में पेश आया मामला….

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मंडी : कोरोना जैसे विकट समय के दौरान भी इस तरह का वाकया शायद कहीं नहीं हुआ होगा जैसा हाल ही में सुंदरनगर स्थित शमशान घाट में पेश आया जहां एक प्रवासी मजदूर का शव जलाने के लिए उसके परिजनों के पास पैसे न होने के बावजूद भी वसूले गए और उसके बाद ही उसके संस्कार के लिए लकड़ी दी गई। मानवता को शर्मशार करने वाली यह घटना शहर के चांदपुर स्थित शमशान घाट में पेश आई। वहीं घटना के उपरांत शमशान घाट कमेटी को समय समय पर लकड़ी दान करने वाले समाजसेवी भी आहत हुए हैं। समाजसेवी लोगों द्वारा ऐसे लोगों के संस्कार के लिए ही लकड़ी दान की जाती है परंतु शमशानघाट कमेटी मानवता को छोड़ कर ऐसे लोगों के संस्कार के लिए भी निशुल्क लकड़ी तक नहीं दे सकती है।

इस कृत्य की क्षेत्र भर में चर्चा हो रही है सोशल मीडिया पर भी लोग शमशान घाट कमेटी को आड़े हाथों ले रहे हैं। मामला सोशल मीडिया पर जब वायरल हुआ तब जाकर शमशानघाट कमेटी की आंखे खुली और वसूली गई राशि को प्रवासी मजदूर के परिजनों को लौटाया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार भौर में रहने वाले एक मजदूर की गत रोज मृत्यु हो गई। उसके परिजनों के पास उसे जलाने के लिए लकड़ी खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। इस बारे में प्रवासी मजदूर एवं वाल्मीकि समुदाय सुंदरनगर इकाई के प्रधान घनश्याम ने बताया कि मोक्षधाम कमेटी से लकड़ी देने का आग्रह किया गया परंतु उनकी बात को अनसुना कर दिया गया और उन्हें नियमों का हवाला दिया गया। मजबूरी में लोगों ने एक दूसरे से लेकर 35सौ रूपए की राशी जुटाई और कमेटी को सौंपकर किसी तरह लकड़ी का इंतजाम किया। इसकी एवज में बकायदा मोक्षधाम कमेटी  ₹3500 की रसीद काटकर भी दी। परंतु जब  मामला सोशल मीडिया में आग की तरह फैला और शमशान घाट कमेटी की लोगों ने फजीहत की तो शनिवार को मोक्ष धाम कमेटी सुंदरनगर के पदाधिकारियों ने आनन-फानन में प्रवासी मजदूर के घर ₹3500 की राशी लौटाई। घनश्याम का कहना है कि प्रवासी मजदूरों का चाहे कोरोना काल के दौरान निधन हुआ हो या ऐसे ही किसी मजदूर भाई का निधन हुआ हो सुंदरनगर के मुख्य समाजसेवी सुरेश कौशल उर्फ बब्बू पंसारी क्रिया कर्म के लिए सभी तरह की सामग्री निशुल्क में प्रवासी मजदूरों के संस्कार करने के लिए प्रदान करते आए हैं। इसके लिए उन्होंने उनका आभार प्रकट किया है और मोक्ष धाम कमेटी सुंदरनगर के पदाधिकारियों से भी आग्रह किया है कि वह गरीब तबके के व्यक्ति के संस्कार के लिए लकड़ी के बदले पैसे अर्जित करने की प्रथा बंद करें ताकि इस दुखद घड़ी में गरीब परिवार अपने मृतक की देह का संस्कार कर सके। बहरहाल कमेटी की ओर से शनिवार को ₹3500 लौटाने का निर्णय सराहनीय है और भविष्य में भी ऐसे कदम उठाने से गरीब लोगों को काफी राहत मिलेगी।

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