मंडी/बल्ह : 16 अगस्त : संपूर्ण देश में 15 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव पर एक ओर जहां सभी लोगों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया गया। वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी के उपमंडल बल्ह से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। उपमंडल बल्ह के एकमात्र 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी गांव लेदा निवासी डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा को मंडी प्रशासन स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम का न्योता देना ही भूल गया। हैरानी की बात यह है कि मंडी जिला का जिलास्तरीय स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में उपमंडल बल्ह के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भंगरोटू में आयोजित किया गया। लेकिन मात्र 15 वर्ष की छोटी आयु में अंग्रेजों के अधीन हैदराबाद के निजाम की जेल में 7 महीने की कैद के साथ काल-कोठरी की कड़ी यातनाओं से गुजरने वाले और वर्ष 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग ले चुके इस स्वतंत्रता सेनानी को सम्मानित करना तो दूर उनके घर पर प्रशासन एक तिरंगा झंडा तक नहीं लग पाया है। स्वतंत्रता दिवस पर मंडी जिला प्रसाशन लाव लश्कर सहित पूरा दिन वीआईपी की खातिरदारी में व्यस्त रहा,लेकिन स्वतंत्र भारत की कल्पना को पूरा करने वाले इन स्वतंत्रता सैनानियों का सम्मान करना प्रशासन भूल चुका है। जिसकी टीस इनके परिजनों के दिल में साफ झलकती है। वहीं अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए वरिष्ठ नागरिक मंच सिकंदराधार के अध्यक्ष कांशीराम गुलेरिया और सचिव मेहर चंद द्वारा डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा को स्वतंत्रता दिवस पर उनके घर में सम्मानित किया गया।
हैदराबाद राज्य सत्याग्रह में सक्रिय रूप से लिया भाग, 7 माह की जेल के साथ भोगी काल-कोठरी तक की सजा :
स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा पुत्र विश्वधर्मा शर्मा का जन्म 15 मई 1923 में तत्कालीन भारत के लाहौर में हुआ था। बाल्यकाल से ही आजादी के आंदोलन से प्रभावित होकर देश के लिए कुछ करने का जनून इनके दिल में था। इसके चलते मात्र 15 वर्ष की आयु में राजेंद्र लाल शर्मा ने वर्ष 1938-39 में आर्य समाज द्वारा अंग्रेजों के अधीन निजाम के खिलाफ हैदराबाद राज्य सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया। जिसका प्रस्तति पत्र आज भी डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा के पास मौजूद हैं। सत्याग्रह के समय राजेंद्र लाल शर्मा और उनके साथ अन्य सत्याग्रहियों को निजाम द्वारा डेढ़ साल की सजा सुनाई गई। लेकिन निजाम के जन्मदिन के अवसर पर 7 माह पर इनकी सजा माफ के बाद रिहा कर दिया गया। जेल में भी राजेंद्र लाल शर्मा से निजाम द्वारा कार्य करवाए जाने का विरोध किया गया, जिस कारण उन्हें काल-कोठरी की यातनाएं भी सहनी पड़ी।
डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम के लिए भी किया कार्य :
राजेंद्र लाल शर्मा हैदराबाद में जेल से निकलने के उपरांत लाहौर आकर राजेंद्र शर्मा ने डीएवी कॉलेज के दयानंद आर्युवेदिक कॉलेज अमृतसर में वैद्य-वनस्पति डिप्लोमा पूरा किया गया। इस दौरान उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ आजादी के आंदोलन से एक्टिव सदस्य के तौर पर जुड़े रहे। इस तरह राजेंद्र शर्मा ने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इसके उपरांत डॉक्टर की उपाधि मिलने के उपरांत डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा परिवार सहित नौकरी के सिलसिले में हिमाचल प्रदेश में आ गए। प्रदेश में डॉ राजेंद्र शर्मा ने विभिन्न जगहों पर आर्युवेदिक डॉक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं दी।
स्वतंत्रता सेनानी को पीठ पर उठाकर पहुंचाया जाता है अस्पताल :
स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा के घर को जाने वाली सड़क का कार्य आज दिन तक पूरा नहीं हो पाया है। लेदा-सिंकदराधार मुख्य सड़क मार्ग से लगभग आधा किलोमीटर दूर इस स्वतंत्रता सेनानी के नाम एक बोर्ड तक नहीं लगा हुआ है और तंग कच्ची सड़क गड्ढों से भरी पड़ी हुई है। सड़क निर्माण के लिए लाखों की धनराशि आने के बावजूद भी आज दिन तक डॉ. राजेंद्र लाल शर्मा के घर तक सड़क नहीं बन पाई है। बीमार होने की स्थिति में परिजनों द्वारा राजेंद्र शर्मा को पीठ पर उठाकर मुख्य सड़क मार्ग तक लाना पड़ता है। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा भी पैसा मिलने के बाद स्वतंत्रता सेनानी के घर के लिए सड़क मार्ग का कार्य पूरा नहीं करवाया जा सका है। वहीं वर्ष 2021 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय दिल्ली से एक टीम ने डॉ राजेंद्र लाल शर्मा के घर एसडीएम बल्ह के साथ आकर उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
परिजनों का रोष, आजादी के अमृत महोत्सव पर करोड़ों के खर्चे के बावजूद नहीं मिला सम्मान :
स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर राजेंद्र लाल शर्मा के बेटों का कहना है कि इससे पूर्व उनके पिता पिता को मंडी प्रशासन द्वारा 15 अगस्त और 26 जनवरी को बुलाया जाता था। इसके अलावा उनके पिता अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में भी विशेष तौर पर आमंत्रित किए जाते थे। लेकिन इस बार केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं किया गया है।