डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी – सीपीएस की कुर्सी बचाने के लिए दिल्ली से एडवोकेट ला रहे हैं, उन्हें स्टेट गेस्ट बनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के वकीलों को पिछले पौने दो सालों में सरकार ने 6 करोड़ रुपये का खर्च किया है। यह बात शुक्रवार को पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सर्किट हाउस मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं। प्रदेश के हितों की रक्षा करनी है तो अच्छे वकील लाकर हाई कोर्ट के फैसले में सरकार का पक्ष रख सकते थे। 18 यूनिट का गिरवी रखने के मामले को डबल बेंच पर ले जा सकते थे। हालात इस प्रकार से बन गए हैं कि हिमाचल भवन नीलाम होने के साथ-साथ 18 होटल टूरिस्म कारपोरेशन के साथ आने वाले समय में पता नहीं क्या-क्या नीलाम होगा। एक तरह से हिमाचल प्रदेश को नीलाम करने की स्थिति में कांग्रेस सरकार आ गई है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश टूरिज्म प्राइवेट कारपोरेशन की कुल 55 प्रॉपर्टी में से 18 होटलों को बंद करने के आदेश आते हैं और हैरानी की बात यह है कि सरकार की ओर से जो इसको लेकर रिप्लाई फाइल किया गया। इसमें इन सभी 18 यूनिटों को लॉस मेकिंग बताया गया। जबकि 2023 वित्त वर्ष की रिपोर्ट के मुताबिक चायल होटल, कुंजम मनाली, होटल धौलाधार, पीटरहाफ, सर्किट हाउस शिमला, नगर, कयारीघाट, हॉलीडे होम, आशियाना आदि प्रॉफिट मेकिंग थे। उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से सरकार ने सारे टूरिज्म होटल्स को लिस्ट आउट कर रही है और बहुत से लोग इन्हें लीज पर लेने का प्रयत्न भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कहीं कोर्ट के फैसले की आड़ में यह 18 यूनिट में से जिन्में बहुत से प्रॉफिट मेकिंग है को प्राइवेट सेक्टर में देने की तैयारी एक षड्यंत्र के तहत हो रही है।
हिमाचल प्रदेश की बहुमूल्य संपत्तियां को कोर्ट के आदेश अनुसार गिरवी रखनी की स्थिति में सूबे की सरकार पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि एक पावर कंपनी मामले में कोर्ट का फैसला 13 जनवरी 2023 को आता है, फैसले के मुताबिक का फ्रंट प्रीमियम का 64 करोड रुपए सरकार को देना था। लेकिन सरकार दे नहीं पाई । इस कारण हिमाचल भवन दिल्ली मंडी हाउस के भवन को गिरवी रखने के आदेश आते हैं। दिल्ली हिमाचल प्रदेश भवन का गिरवी होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार इस मामले में डबल बेंच पर जा सकती थी हालांकि जानकारी अनुसार कंपनी ने सरकार को इंटरेस्ट छोड़ने का भी ऑफर दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई और आज 64 करोड़ की राशि लगभग 150 करोड़ तक पहुंच गई है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि शिमला में रामकृष्ण मिशन की संपत्ति को लेकर दो पक्षों में विवाद होने से पूर्व सरकार समय पर उचित कदम उठाने में विफल रही। उन्होंने कहा कि इस संपत्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में चला हुआ है और न्यायालय ने इसमें यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। इस संपत्ति को लेकर एक पक्ष द्वारा कब्जा किए जाने का प्रयास करना न्यायालय के आदेश की अवेहलना हैं। इस मामले को लेकर समय रहते सरकार को कदम उठाने चाहिए थे लेकिन प्रदेश सरकार इसमें पूरी तरह से विफल रही है।