मंडी : एक ही विभाग के दो विंग आपस में उलझे, एक-दूसरे पर थोप रहे जिम्मेदारियां…!!!

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डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी – पंडोह

लोक निर्माण विभाग के दो विंग आपस में उलझते हुए एक-दूसरे के सिर जिम्मेदारियां थोपते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल पंडोह के साथ लगते जागर के पास ब्यास नदी पर बनाए गए फुटब्रिज को लेकर स्थानीय लोगों ने धांधलियों के आरोप लगाए थे। इस पुल की मुरम्मत का कार्य लंबे समय के बाद हुआ और मुरम्मत कार्य का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के मेकेनिकल विंग के पास था। कुल्लू स्थित मेकेनिकल विंग ने इसका टेंडर जारी किया। लेकिन निर्माण कार्य में ऐसी धांधली की गई कि जो सरेआम नजर आ रही है। यहां पर विभाग ने पुराने पिल्लरों पर ही बाहर से लोहे की रेलिंग लगाकर पुल की मुरम्मत कर डाली। पुराने पिल्लरों का सीमेंट और सरिया पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। सीमेंट ने अपनी पकड़ खो दी है और जंग खाया सरिया भी स्पष्ट तौर पर सामने नजर आ रहा है। लेकिन मेकेनिकल विंग अपनी नाकामी छुपाने के लिए सिविल वर्क को सिविल विंग द्वारा किए जाने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहा है। मेकेनिकल विंग का यह कहना कि वे सिविल वर्क नहीं करते, यह बात इसलिए हजम नहीं हो रही क्योंकि इससे पहले मेकेनिकल विंग ने पंडोह में जो झूला पुल बनाया उसमें जितना भी सिविल वर्क हुआ वो सारा काम मेकेनिकल विंग द्वारा ही करवाया गया था। मेकेनिकल विंग को जब भी कोई कार्य दिया जाता है तो उसमें होने वाला छोटा-मोटा सिविल वर्क भी उन्हीं के द्वारा अपने हिसाब से करवाया जाता है। लेकिन जहां पर मेकेनिकल विंग ने कमी छोड़ दी उस गड़बड़ी का छुपाने के लिए यहां जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की जा रही है। वहीं जागर के पास बनाए गए पुल पर जो रेलिंग लगाई गई है उसमें भी भारी कटौती की गई है। यह रेलिंग कम से कम तीन फीट होनी चाहिए थी जबकि यह सिर्फ 2 फीट ही लगाई गई है। ऐसे में यहां से लोगों को अंदेशा है कि राह चलते यदि किसी को गलती से धक्का लग गया तो वह सीधा नदी में जा गिरेगा। विभाग की ऐसी हरकतों को देखने के बाद ही स्थानीय लोगों ने इसमें स्पष्ट तौर पर धांधली के आरोप लगाते हुए सरकार से इसकी जांच करवाने की मांग उठाई है।

वहीं, दूसरी तरफ पंडोह में मेकेनिकल विंग ने जो झूला पुल बनाया है उसका सारा सिविल वर्क खुद मेकेनिकल विंग ने ही करवाया है। लेकिन इस झूला पुल का भी लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोगों का कहना है कि इसमें भी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और जब भी इस झूले पर सवार होकर नदी को आर-पार करने जाते हैं तो यह मंझधार में इतने हिचकोले खाता है कि लोगों की सांस अटक जाती है। कुछ समय पहले दो लोगों को बड़ी मुश्किल से यहां से बचाकर बाहर निकाला गया था। लोगों ने इस कार्य की भी जांच की मांग उठाई है।

सिविल वर्क करना मेकेनिकल विंग का काम नहीं :

कुल्लू स्थित मेकेनिकल विंग के अधिशाषी अभियंता जेएल ठाकुर का कहना है कि मेकेनिकल विंग वही कार्य करता है जो सिविल विंग द्वारा बताया जाता है। सिविल वर्क करना हमारा काम नहीं होता। जागर पुल का जो डिजाईन बताया गया था उसी आधार पर उसकी मुरम्मत का कार्य कर दिया गया है। पंडोह झूला पुल के साथ लोग शरारतें कर रहे हैं। दो बार उसकी मुरम्मत की जा चुकी है। निर्माण कार्य करने के बाद उसकी देखरेख का जिम्मा संबंधित मंडल का होता है।

लोक निर्माण विभाग के थलौट मंडल के अधिशाषी अभियंता विनोद शर्मा का कहना है कि जो कार्य मेकेनिकल विंग को दिया जाता है उसमें होने वाला सिविल वर्क भी उन्हीं के द्वारा किया जाता है। पंडोह के झूला पुल का कार्य भी मेकेनिकल विंग द्वारा ही किया गया था।

ध्यान में आया है मामला, होगी जांच :

लोक निर्माण विभाग मंडी जोन के चीफ इंजीनियर नरेंद्र चौहान का कहना है कि यह मामला उनके ध्यान में आया है। दोनों विंग एक ही विभाग का हिस्सा है इसलिए तालमेल से काम होना जरूरी है। लोगों ने मेकेनिकल विंग की गड़बड़ियों को लेकर जो आशंका जताई है उसकी जांच करवाई जाएगी।

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