डेली हिमाचल न्यूज़ : सुंदरनगर
मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह आज भी राजशाही मानसिकता से ही ग्रस्त हैं। कड़े संघर्षों के बाद वर्ष 1947 में देश आजाद हो गया था। लेकिन विक्रमादित्य सिंह आज भी खुद को राजा ही समझते हैं। यह आरोप भाजपा के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता एवं सुंदरनगर के विधायक राकेश जंवाल ने बटवाड़ा, सनीहन और कंदार में चुनाव प्रचार करते हुए लगाया। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह को पता होना चाहिए कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोच्च है और जनता ही राजा। लेकिन विक्रमादित्य सिंह आज भी जनता को प्रजा समझते हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। राकेश जंवाल ने कहा कि विक्रमादित्य सिंह सार्वजनिक मंचों से यही कहते हैं कि उन्हें पद की कोई लालसा नहीं है, तो वह अपनी माता जी के साथ दिल्ली में लोक निर्माण विभाग हासिल करने के लिए क्याें पहुंचे थे। खुद को बेहद चतुर- राजनीतिज्ञ समझने वाले विक्रमादित्य सिंह को अभी समझ नहीं आ रहा कि उनके मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू उन्हें हाशिए पर धकेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह बार-बार आपदा के दौरान अपने कार्यों का जिक्र कर रहे हैं। उन्हें तो यह बताना चाहिए कि वह हर आपदा प्रभावित तक मदद क्यों नहीं पहुंचा सके? जनप्रतिनिधि होने के नाते यह तो सभी का परम दायित्व है कि वे जनता की सेवा करें। उन्होंने कहा कि भाजपा के विधायकों ने आपदा के दौरान घर-घर जाकर प्रभावितों का हाल जाना और उन्हें हर संभव मदद पहुंचाई, लेकिन फिर इसे बार-बार हर मंचों से बताने का काम नहीं किया। क्योंकि यह तो जनप्रतिनिधि का दायित्व है। राजशाही की मानसिकता से ग्रसित विक्रमादित्य सिंह को लगता है कि अगर वह घर से बाहर निकल गए, तो इससे उन्होंने जनता पर बहुत बड़ा एहसान कर दिया।
राकेश जंवाल ने कहा कि मुझे विक्रमादित्य सिंह के लिए बड़ा दुख होता है कि पहले तो उन्हें 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम में हार का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद प्रदेश से सरकार जाने की वजह से हुए विपक्ष के टेबल पर आकर बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे। मेरा विक्रमादित्य सिंह से अनुरोध है कि सत्ता पक्ष से विपक्ष की ओर आने से पहले पहले कम से कम अपने पिता के लिए वह दो गज जमीन ले लें, जिसके लिए रोते हुए उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था।