डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी – कुल्लू
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बने हुए 10 माह का समय हो गया। लेकिन कांग्रेस सरकार के गलत निर्णय के चलते 10 माह के भीतर ही प्रदेश 10 साल पीछे चला गया है। पत्रकारों को जानकारी देते हुए हिमाचल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले पूर्व भाजपा सरकार के द्वारा आम जनता के हित में खोले गए स्थान को बंद करने का कार्य किया और आज प्रदेश में 1000 से अधिक संस्थान बंद कर दिए गए हैं। इससे भी प्रदेश की जनता को काफी नुकसान उठाना पड़ा। कांग्रेस सरकार यही नहीं रुकी। उसके बाद उन्होंने प्रदेश में बिना किसी कारण को जाने क्रशर को बंद करने का फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा में हिमाचल प्रदेश को खासा नुकसान हुआ। सरकार विकास कार्यों को तेज करने की बात तो कहती है। लेकिन जब क्रशर बंद होने के चलते भवन निर्माण सामग्री ही नहीं मिल पा रही है। तो प्रदेश में विकास कार्य कैसे तेज होंगे। आज भवन निर्माण सामग्री ना मिलने के चलते लोगों के अपने काम अटक गए हैं और इसका खामियाजा भी आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार को भुगतना होगा। पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने बताया कि कांग्रेस सरकार सुख की सरकार की बात अपने हर मंच से कहती है। लेकिन बीते 10 माह में जिस तरह से प्रदेश में अपराधी का घटनाओं में वृद्धि हुई है। उससे यह पता चलता है कि प्रदेश में सुख की नहीं। बल्कि दुख की सरकार है और आए दिन अपराधी घटनाओं से प्रदेश के लोग भी बुरी तरह से सहमे हुए हैं।
तानाशाही फैसले सुना रही प्रदेश सरकार : गोविंद ठाकुर
पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि सितंबर माह में कांग्रेस सरकार के द्वारा तानाशाही फैसला सुनाया गया कि बाहर के राज्यों से आने वाले वाहनों पर स्पेशल रोड टैक्स लगाया जाएगा। उस फैसले को भी 2 महीने से अधिक का समय बीत गया और आज हिमाचल प्रदेश के सभी पर्यटन स्थल सैलानियों के बिना सूने पड़े हुए हैं। आज भी सरकार उस दिशा में सही फैसला नहीं ले पाई है। अब सरकार यह कहती है कि बाहर की गाड़ियों का स्पेशल रोड टैक्स घटाया गया है लेकिन हिमाचल प्रदेश के लोगों की टैक्सी और कमर्शियल वाहनों पर यह टैक्स बढ़ा दिया गया है। यह किस तरह की न्याय व्यवस्था है कि सरकार अपने शौक पूरा करने के लिए प्रदेश के लोगों पर आर्थिक बोझ डाल रही है। वही उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के बाद भी राहत राशि को बांटने में बंदर बांट की गई। आज भी कई ऐसे पीड़ित परिवार हैं जिन्हें राहत राशि नहीं मिल पाई है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के द्वारा अपने कुछ चुनिंदा लोगों को 7 लाख रुपए की राहत राशि भी प्रदान की गई और जो लोग सच में इसके हकदार थे। वह आज भी राहत राशि से वंचित है। अब कांग्रेस सरकार को अपने 10 माह में लिए गए फैसलों पर विचार करना चाहिए। ताकि उन्हें पता चल सके कि वह किस तरह से अपने गलत फैसलों के चलते प्रदेश की जनता को प्रताड़ित करने में जुटे हुए हैं।