डेली हिमाचल न्यूज़ : मंडी
हिमाचल प्रदेश में पूर्व की सरकार के समय मंडी में बनाई गई दूसरी यूनिवर्सिटी सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के साथ धन आबंटन से लेकर अन्य सभी प्रकार के मसलों पर प्रदेश सरकार व विभाग के द्वारा बीते ढेड वर्षों से भेदभाव किया जा रहा है जिससे आहत होकर अब यहां से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के हितों को देखते हुए एसपीयू के अधिकारी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर हो गए हैं। एसपीयू मंडी की प्रो वाइस चांसलर अनुपमा सिंह के अनुसार बीते करीब डेढ़ वर्षों से प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग को पत्राचार के माध्यम से समस्याओं से अवगत करवाया गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल को भी इस बारे में अवगत करवाया तो राज्यपाल ने विभाग और सरकार को आगामी कार्यवाही के निर्देश भी दिए लेकिन आज दिन तक प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने उन पर अमल नहीं किया। अनुपमा सिंह ने बताया कि जिन 18 बीएड कालेजों को यूनिवर्सिटी के अंतर्गत लाया गया है वहां के लिए दो सत्रों की मिलने वाली करीब साढे तीन करोड़ की लेवी फीस अभी तक जारी नहीं की गई है। इसी प्रकार अन्य प्रकार के बजट में भी यूनिवर्सिटी को नाम मात्र ही दिया जा रहा है जो कि सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार व विभाग से उन्हें मात्र आश्वासनों के सिवास कुछ नहीं मिला जो कि दुख की बात है। उन्होंने बताया कि अपने हकों के लिए अब सरदार पटेल यूनिवर्सिटी कोर्ट का सहारा लेगी।
वहीं उन्होंने आशंका जताई कि यूनिवर्सिटी कैंपस के लिए देखी गई जमीन को भी नाम करने के लिए शायद उन्हें न्यायालय का ही सहारा लेना पड़े क्योंकि मंडी में चलाई जा रही प्रदेश की दूसरी यूनिवर्सिटी के कैंपस निर्माण व अन्य के लिए केंद्र से भी धन तभी मुहैया हो पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जेओआईटी के 25 पदों के लिए यूनिवर्सिटी ने एक नेशनल लेवन की एजेंसी से एग्जाम करवाया जिसका भी अभी तक रिजल्ट नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मंडी सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के प्रति उदासीन रवैया अपना रही है और हर प्रकार से यहां पर भेदभाव किया जा रहा है। अनुपमा सिंह ने बताया कि वह विभिन्न मुद्दों पर जल्द ही कार्यकारिणी परिषद की बैठक बुलाएंगी और अन्य मसलों को वहां रख कर कुछ महत्वपूर्ण फैसले भी लिए जाएंगे।
बता दें कि मंडी युनिवर्सिटी में पहले कांगड़ा चंबा के भी कालेज ऐड किया गए थे जिसे मौजूदा सरकार ने एचपीयू में डाल दिया। जिसके बाद अब एसपीयू में केवल 46 कालेज ही रह गए हैं और वहां पर भी मूलभूत सुविधा देना बिना बजट के मुश्किल हो रहा है।